Umasofia Srivastava: मिस टीन यूएसए के ताज का त्याग, एक भारतीय-मैक्सिकन युवती की आवाज़, और एक सवाल जो उठा है – क्या सौंदर्य प्रतियोगिताओं में अब भी वो बात है? उमासोफिया श्रीवास्तव का यह कदम सौंदर्य और मूल्यों की बहस को एक नई दिशा दे रहा है। एक तरफ जहाँ खूबसूरती के मायने बदल रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ व्यक्तिगत मूल्यों की अहमियत भी बढ़ रही है।
भारतीय-मैक्सिकन मूल की Umasofia Srivastava का बड़ा फैसला
Umasofia Srivastava: भारतीय-मैक्सिकन मूल की उमासोफिया श्रीवास्तव, जिन्होंने पिछले साल मिस टीन यूएसए का खिताब जीता था, ने बुधवार को अपना ताज छोड़ने का ऐलान किया।
संगठन की दिशा से असहमति
उमासोफिया ने अपने इस फैसले के पीछे संगठन की दिशा से अपनी व्यक्तिगत मूल्यों में असहमति को वजह बताया। उन्होंने कहा, “मेरे व्यक्तिगत मूल्य अब संगठन की दिशा के साथ पूरी तरह मेल नहीं खाते हैं।”
मिस टीन यूएसए संगठन की प्रतिक्रिया
मिस टीन यूएसए संगठन ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट के जरिए उमासोफिया के फैसले का सम्मान करते हुए उनकी सेवाओं के लिए धन्यवाद किया। संगठन ने कहा कि वे एक नई मिस टीन यूएसए के चयन की प्रक्रिया पर विचार कर रहे हैं और जल्द ही घोषणा करेंगे।
मिस यूएसए के इस्तीफे के बाद उमासोफिया का फैसला
उमासोफिया का यह फैसला मिस यूएसए नोएलिया वोइगट के इस्तीफे के कुछ ही दिनों बाद आया है, जिन्होंने मानसिक स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया था।
उमासोफिया का इंस्टाग्राम पोस्ट
उमासोफिया ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में बताया कि वह कई महीनों से इस फैसले से जूझ रही थीं और अपने परिवार और शुभचिंतकों को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने यह भी कहा कि यह उनके शासनकाल के अंत की कल्पना नहीं थी।
शिक्षा और स्वीकृति की वकालत जारी रखने का संकल्प
उमासोफिया ने कहा कि वह “शिक्षा और स्वीकृति” की वकालत करना जारी रखेंगी। वह अपनी बहुभाषी बच्चों की किताब “द व्हाइट जगुआर” और मिस टीन यूएसए बनने से पहले जिन संगठनों के साथ काम करती थीं, जैसे द लोटस पेटल फाउंडेशन और ब्रिज ऑफ बुक्स फाउंडेशन, के साथ काम करना जारी रखेंगी।
उमासोफिया के भविष्य के लक्ष्य
उमासोफिया ने पोस्ट में कहा कि वह 11वीं कक्षा पूरी करने के बाद कॉलेज आवेदन प्रक्रिया शुरू करेंगी। उन्होंने एक नए लेखन प्रोजेक्ट पर भी काम करने की इच्छा जताई।
उमासोफिया श्रीवास्तव का यह कदम भले ही उनके लिए एक व्यक्तिगत फैसला हो, लेकिन यह एक बड़ी बहस की शुरुआत भी है। क्या सौंदर्य प्रतियोगिताएं आज के दौर में प्रासंगिक हैं? क्या ये सिर्फ बाहरी खूबसूरती का जश्न मनाती हैं, या फिर इसके आगे भी कुछ है? ये सवाल सिर्फ उमासोफिया के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए हैं। और इन सवालों के जवाब तलाशने की ज़रूरत है।
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